17 वर्ष
की अवस्था में
आप कबीरपंथ से
परिचित हुए। आपने
21 वर्ष की अवस्था
में गृहत्याग
कर कबीर आश्रम
बड़हरा, जिला गोंडा
(उ0प्र0) के प्रसिद्ध
महंत पूज्यपाद
सद्गुरु श्री
रामसूरत साहेब
जी द्वारा साधुवेष
की दीक्षा ली तथा
अविरत सत्य.धर्म
की स्थापना में,
जनकल्याण हेतु
अपना संपूर्ण
जीवन समर्पित
किया है। तब से
आज तक कर्मयोगी
के समान ज्ञान
की ज्योति को सतत
प्रभावान बनाने
में अहर्निश रत
हैं।
÷÷पारख
प्रकाश'' त्रैमासिक
पत्रिका के सम्पादक,
कबीर पारख संस्थान
इलाहाबाद के संस्थापक
तथा बीजक व्याख्या,
पंचग्रंथी टीका,
विवेकप्रकाश
टीका, योगदर्शन
भाष्य, रामायण
रहस्य, गीतासार,
उपनिषद सौरभ, कबीर
दर्शन, वेद क्या
कहते हैं?ं, कहत
कबीर, धर्म को डुबाने
वाला कौन?, ढ़ाई आखर,
मोक्षशास्त्र,
बूंद.बूंद अमृत,
व्यवहार की कला
आदि लगभग 100 प्रकार
के सामाजिक, आध्यात्मिक
एवं व्यावहारिक
ग्रंथों के यशस्वी
लेखक हैं। आपकी
ओजस्वी वाणी में
भारतीय संस्कृति
के ऋषि मनीषियों
के उद्गार समाहित
रहते हैं। साथ
ही व्यावहारिक
जीवन की उज्ज्वलता
एवं आध्यात्मिक
जीवन के अमोघ अनुभव
रस सन्निहित रहता
है। |